हँसीं में छुपे आंसू ,,,,,
दुनिया ने देख ली ,
मेरे चेहरे पे हँसी ,
पर मेरी आँखों में भरा हुआ ,
पानी ना देख पाई ,
या तो हो गई हूँ माहिर ,
आंसू छुपाने में ,
या ये दुनिया ही मुझे ,
अबतक समझ ना पाई ,
वजह वो भी बेवजह सी ही थी ,
जिस वजह से मेरी ,
आँख भर आई ,
बिना दिल के खाली - खाली सी ,
लग रही है रूह मेरी ,
क्योंकि दिल भी अपना ,
किसी और के नाम कर आई ,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,, मीनू तरगोत्रा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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