RAAZ....
वो मुझसे कहता है के खुश रहा करो ,
मगर ,खुद पता नहीं अपने अंदर कितना दर्द छुपाये हुए है ,
वो कांटे लेकर भी फूलों सा खिला रहता है ,
आँसू ,धोखा ,दर्द ,तन्हाई
सब अपनायें हुए है ,
मेरे सामने खुश रहता है ,
ताकि मैं उदास ना होऊँ ,
मगर
न जाने कौन सा राज़ अपने अंदर समाये हुए है ,
किसी का दिल दुखाने से डरता है बहुत ,
वो दिल ,,,,,,,,,,जो खुद धोखा खाये हुए है ,
उससे दूर जाऊँ तो कैसे जाऊँ ,
जो मेरे दिल -ओ -दिमाग पर छाये हुए है ,
ए ख़ुदा उनसे दूर जाने के डर से अब और ना डरा ,
हम तो पहले से ही तन्हाइयों से घबराये हुए हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मीनू तरगोत्रा
वो मुझसे कहता है के खुश रहा करो ,
मगर ,खुद पता नहीं अपने अंदर कितना दर्द छुपाये हुए है ,
वो कांटे लेकर भी फूलों सा खिला रहता है ,
आँसू ,धोखा ,दर्द ,तन्हाई
सब अपनायें हुए है ,
मेरे सामने खुश रहता है ,
ताकि मैं उदास ना होऊँ ,
मगर
न जाने कौन सा राज़ अपने अंदर समाये हुए है ,
किसी का दिल दुखाने से डरता है बहुत ,
वो दिल ,,,,,,,,,,जो खुद धोखा खाये हुए है ,
उससे दूर जाऊँ तो कैसे जाऊँ ,
जो मेरे दिल -ओ -दिमाग पर छाये हुए है ,
ए ख़ुदा उनसे दूर जाने के डर से अब और ना डरा ,
हम तो पहले से ही तन्हाइयों से घबराये हुए हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मीनू तरगोत्रा
kuch lawz bewzh
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-12-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2571 में दिया जाएगा ।
ReplyDeleteधन्यवाद
oh really sir ......thanks.....
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