उनकी गली
क्या करें गली में जाकर उनकी ,
दरवाज़ा बंद ही मिलता है हर बार उनका ,
सोचता हूँ की छोड़ दूँ जाना उस गली में ,
पर दिल मज़बूर है चाहता है दीदार उनका ,
उनकी यादों में अब आँसू बहा कर क्या करें ,
कोई और ही बन चुका है दावेदार उनका ,
वो आ भी गया तो क्या फायदा ए -खुदा ,
छोड़ दिया अब करना इंतज़ार उनका ,
रोक लेता जाते हुए दूर मुझसे ,
पर ना हक़ था मेरा ,
ना मैं था हक़दार उनका ,
नुमाईश हुस्न की करके लूटे हैं दिल कई ,
दिल लूटना ही शायद था कारोबार उनका ,
आज भी दिल पर हज़ारो तीर चलाता है ,
हमें देखना यूँ लगातार उनका ,
जिस तरह चैन -ओ -सुकून मेरा लूटा है उसने ,
काश कोई उससे भी छीन ले करार उनका ,
उन्हें भी तो पता चले कितना तड़पे है हम ,
कितना ज़रूरी था हमारे लिए इज़हार उनका ,
MEENU आज भी याद है वो वक़्त हमे ,
जाना पतझड़ और आना बाहर उनका ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मीनू तरगोत्रा
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